इंतजारों के कांटों को मैं चुनती चली गयी,
पल पल गिरे आंसू को गिनती चली गयी..
रिश्तों ने हर कदम पर मुझको बहुत टोका,
मगर मैं तेरी बात को बस सुनती चली गयी..
अब तुम ही खफा हो तो बताओ क्या करूं ,
तेरा जवाब न मिला तो सिर पिटती चली गयी..
कुछ दिन में शायद सबकुछ ठीक हो जाए ,
इसी उम्मीद में ये गजल मैं बुनती चली गयी..
पल पल गिरे आंसू को गिनती चली गयी..
रिश्तों ने हर कदम पर मुझको बहुत टोका,
मगर मैं तेरी बात को बस सुनती चली गयी..
अब तुम ही खफा हो तो बताओ क्या करूं ,
तेरा जवाब न मिला तो सिर पिटती चली गयी..
कुछ दिन में शायद सबकुछ ठीक हो जाए ,
इसी उम्मीद में ये गजल मैं बुनती चली गयी..
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