दिल जो टूटे तो कोई जख्म न जुबां पे लाए,
कैसे फिर कोई उनके गम को समझ पाए..
एक खुलते ही कई और गांठ लग जाते हैं ,
दिल के धागे भी उलझकर न सुलझ पाए..
आप हंसते हैं मेरी हालत पर, हंसते रहिए ,
ये मेरी दर्द भी दुनिया का कुछ सबक पाए..
जब भी खुलता है ये एक आस जगा देता है ,
घर के दरवाजे भी तेरे आने की कसक पाए..
कैसे फिर कोई उनके गम को समझ पाए..
एक खुलते ही कई और गांठ लग जाते हैं ,
दिल के धागे भी उलझकर न सुलझ पाए..
आप हंसते हैं मेरी हालत पर, हंसते रहिए ,
ये मेरी दर्द भी दुनिया का कुछ सबक पाए..
जब भी खुलता है ये एक आस जगा देता है ,
घर के दरवाजे भी तेरे आने की कसक पाए..