Thursday 28 May 2015

भीगी भीगी....

भीगी भीगी दो निगाहें, सहमे-सहमे लबों का जोड़ा
जुल्फें सावन सी घनेरी, सूरत पे हया का बसेरा..

तेरे बदन की चांदनी से मौसम में फैला है उजाला
तेरे शबाब की आग में जलकर रोज आता है सबेरा..

दिल की एक नाजुक कली पे दर्द के शबनम रखे हैं
मुसकानों की खुशबू में छुप जाता है हर गम तेरा..

तन्हा सी मुसाफिर हो तुम, तेरी अदाओं में है उदासी
कोरे कागज सा सादा मन, तुम ही तो सपना हो मेरा..

http://hottystan.blogspot.in/

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