तस्सवुर तेरा, जुस्तजू तेरी,
तेरा ही ख्वाबो-ख्याल है...
चैन भी, नींदें भी रुखसत,
रात के वक्त ये आशिकी कमाल है ..
अब किसको क्या मिलेगा आइना देखकर,,
कौन है जो नहीं जानता सूरत में छिपी सीरत अपनी !
दोस्तों छोटी छोटी बातों को दिल से ना लगाया करो,,,,,
ये बहोत नाजूक सा रिश्ता हैं. ज़रा सब्र से निभाया करो...!!!
"मैं तुझे क़त्ल तो कर दूँ, मगर ऐ मेरे ज़मीर...
कोई ख़ंजर तेरे सीने में उतरता ही नहीं...
"बेवफ़ाओं की तरह तूने मुझे लूटा है...
ज़िन्दगी ! तुझसे मगर दिल है कि भरता ही नहीं..
अजीब रिश्ता है दोस्तों ...
"दिल" आज धोके में है,
और धोकेबाज "दिल" में है !!
बेशक मार दिया हो अपनी यादों में मुझे....
पर दर्द ए महफिल में शेर, आज भी हमारे जगमगाते हैं....
पाने से खोने का मज़ा कुछ और है,
बंद आँखों में रोने का मज़ा कुछ और है.
आँसू बने लफ्ज ओर लफ्ज बने गज़ल,
और उस गज़ल में *तेरे* होने का मज़ा कुछ और है..
कौन अंदाजा मेरे गम का लगा सकता है,,
कौन सही राह दिखा सकता है,,
किनारों वालों तुम उसका दर्द क्या जानो,,
डूबने वाला ही गहराई बता सकता है..
न हम रहे दिल लगाने के क़ाबिल,
न दिल रहा ग़म उठाने के क़ाबिल,
लगा उसकी यादों के जो ज़ख्म दिल पर,
न छोड़ा उस ने मुस्कुराने के क़ाबिल...