कुछ पल जो बीते अपने दोस्तों के साथ,
कुछ यादगार लम्हे जो याद आये तो आँख भर आये,
कुछ मीठा मीठा दर्द जो दे खुशियां हज़ार,
Thursday 13 February 2014
लफ़्ज दर लफ़्ज़ चुकाया...
लफ़्ज दर लफ़्ज़ चुकाया है किराया इश्क का ,,,
दिलों के दरमियां यूँ मुफ्त में नहीं रहती !
साल दर साल गर अपनी उम्र न देते इसको,,,
तो ज़माने में मोहब्बत जवां नहीं रहती !!
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